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उत्तराखंड में सबकी निगाहें डाक मत पत्रों पर

देहरादून, 4 फरवरी (वार्ता)। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान सम्पन्न हो जाने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की निगाहें प्रदेश के लगभग एक लाख डाक मत पत्रों पर टिक गयी है। ये ज्यादातर सेवारत सैनिकों के हैं तथा ये मतगणना के दिन तक गणना केन्द्रों तक पहुंच सकते हैं। वर्ष 2008 में […]
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देहरादून, 4 फरवरी (वार्ता)। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान सम्पन्न हो जाने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की निगाहें प्रदेश के लगभग एक लाख डाक मत पत्रों पर टिक गयी है। ये ज्यादातर सेवारत सैनिकों के हैं तथा ये मतगणना के दिन तक गणना केन्द्रों तक पहुंच सकते हैं। वर्ष 2008 में हुये लोकसभा के गढ़वाल उपचुनाव में सीधे मतदान में पीछे रहने के बावजूद भारतीय जनतापार्टी (भाजपा) प्रत्याशी को केवल डाक मतपत्रों की बढ़त के आधार पर विजयी घोषित किया गया था।
विधानसभा के लिए इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों से हुए मतदान के बाद अब डाक मतपत्रों की बारी आ गयी है, चूंकि गत 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में मात्र चार वोटों की बढ़त से जीत हो जाने और लोकसभा उपचुनाव में इन मतों के ही निर्णायक साबित हो जाने के बाद अब कई प्रत्याशियों को इन डाक मतपत्रों से उम्मीदें काफी जग गयी है। प्रदेश में कुल 63 लाख 63 हजार के करीब मतदाताओं में डाक मतपत्र या पोस्टल बैलेटों का प्रयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या 100337 है।
सूत्रों के अनुसार इनमें अधिकांश सेना और अर्ध सैनिक बलों के कार्मिक हैं। इनमें सर्वाधिक 22779 मतदाता पौड़ी जिले की 6 सीटों पर है और वहीं 2008 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उस समय के भाजपा प्रत्याशी जनरल टीपीएस रावत केवल इन्हीं मतों से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे थे। इस समय भी जनरल रावत पौड़ी जिले की ही लैसडौन विधानसभा सीट पर रक्षा मोर्चा के प्रत्याशी हैं और उनकी सीट पर इस समय भी 5057 पोस्टल वोटर हैं। मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूडी को भी पोस्टल वोटरों से काफी उम्मीद है, मगर उनकी सीट पर ऐसे केवल 2327 ही मतदाता है ं,जिनमें से फौजी लगभग एक हजार से कम  हैं।
पोस्टल बैलेट कितने निर्णायक हो सकते हैं। उसका उदाहरण 2008 में हुआ गढ़वाल लोकसभा उपचुनाव में सामने आ चुका है, जिसमें उस समय के भाजपा प्रत्याशी लेफ्टिनेण्ट जनरल (सेनि) टीपीएस रावत कांग्रेस के अपने प्रतिद्वन्द्वी सतपाल महाराज से लगभग 200 मतों से पीछे रह गये थे, लेकिन फौजी पृष्ठभूमि के चलते मतगणना की सुबह तक सीमा क्षेत्रों से लेकर देश के कोने-कोने से उनके लिये लगभग 16 हजार डाक मतपत्र पहुंच गये।  इनमें से बड़ी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस प्रत्याशी लगभग पांच हजार डाक मतपत्र निरस्त कराने में सफल रहे, फिर भी इन डाकमत पत्रों के कारण हार चुके जनरल रावत लगभग सात हजार मतों से विजयी घोषित हो गये।
इन डाक मतपत्रों को इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्यों कि पिछले विधानसभा चुनाव में टिहरी जिले की नरेन्द्रनगर सीट पर उत्तराखण्ड क्रांतिदल के ओम गोपाल रावत कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध उनियाल से मात्र चार मतों से विजयी रहे। इसी तरह उसी चुनाव में पौड़ी सीट पर भाजपा के तीरथ ङ्क्षसह रावत से निर्दलीय यशपाल बेनाम ने मात्र 11 मतों की बढ़त से जीत छीन ली थी। उससे पहले 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी नव प्रभात अपने प्रतिद्वंदी से मात्र 52 वोटों से जीते थे। इस समय कई सीटो पर बहुकोणीय मुकाबले हो रहे हैं, इसलिये इन सीटों पर हार जीत का अन्तर काफी कम होने की संभावना है, इसलिये उस स्थिति में डाक मतपत्रों की भूमिका का भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पौडी जिले के बाद सीमान्त पिथौरागढ़ जिले में डाक मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है जहां ऐसे 15300 मतदाता दर्ज हैं। उसके बाद चमोली गढवाल में ऐसे मतदाताओं की संख्या 13214 है, जो कि किसी की भी किस्मत को बना या बिगाड सकते हैं। जिला देहरादून में यदि पोस्टल बैलेट की स्थिति देखे तो इनकी संख्या नौ हजार सात सौ पैतालीस है, इसमें मसूरी विधानसभा में सबसे अधिक 2333 एवं सहसपुर विधानसभा में 1767 सर्विस मतदाता हैं, जबकि सबसे कम सर्विस मतदाता चकराता विधानसभा में 102 हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार निर्वाचन मशीनरी ने सैन्य एवं अर्धसैनिक बलों के जवानों तथा अफसरों के साथ ही मतदान ड्यूटी पर लगे कार्मिको के इन मतों को प्राप्त करने के लिये प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन कार्यालयों में पोस्टल बैलेट के हिसाब भी उन्होंने लगाने शुरू कर दिये है। मतदान से पहले सभी पोस्टल बैलेट जिला निर्वाचन कार्यालयों से प्रेषित कर दिये गये थे, ताकि समय पर वह प्रदेश के विभिन्न कोने या सीमा पर तैनात जवानों तक पहुंच सकें  ।  मतगणना के लिये फिलहाल अभी एक माह का समय है। ऐसे में मतगणना शुरू होने से पहले मतगणना के दिन उनका पहुंचना अनिवार्य होगा, इसके लिये जिला निर्वाचन कार्यालय में भेजे गये पोस्टल बैलेट का इंतजार किया जा रहा  है।

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